मुझे दुनिया वालो शराबी न समझो मैं पीता नहीं हूँ पिलाई गई है
जहाँ बेख़ुदी में क़दम लड़खड़ाए वही राह मुझ को दिखाई गई है,
नशे में हूँ लेकिन मुझे ये ख़बर हैं कि इस ज़िंदगी में सभी पी रहे है
किसी को मिले हैं छलकते पियाले किसी को नज़र से पिलाई गई है,
किसी को नशा है जहाँ में ख़ुशी का किसी को नशा है ग़म ए ज़िंदगी का
कोई पी रहा है लहू आदमी का हर एक दिल में मस्ती रचाई गई है,
ज़माने के यारो चलन हैं निराले यहाँ तन हैं उजले मगर दिल हैं काले
ये दुनिया है दुनिया यहाँ माल ओ ज़र में दिलों की ख़राबी छुपाई गई है..!!
~शकील बदायूनी
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