मेरे दर्द की तुझे क्या ख़बर है जिसे ख़बर कोई और है

मेरे दर्द की तुझे क्या ख़बर है जिसे ख़बर कोई और है
तू इलाज रहने दे चारागर मेरा चारागर कोई और है,

वो जो आइने के है रू ब रू वही आइने में है हू ब हू
ये न सोच ये न ख़याल कर कि इधर उधर कोई और है,

हैं जहाँ में एक से एक हसीं कमी हुस्न वालों की तो नहीं
जिसे चाहता हूँ मैं हमनशीं वो हसीं मगर कोई और है,

अलग अपनी राह ले नासेहा मुझे तेरे राहनुमा से क्या
तेरा राहबर कोई और है मेरा राहबर कोई और है,

न फ़रिश्ता है न है आदमी ये ग़लत किसी ने समझ लिया
मेरे साथ राह ए हयात में मेरा हमसफ़र कोई और है,

वो तेरी नज़र का फ़रेब है ज़रा देख दिल की निगाह से
जिसे तू समझता है राह रौ सर ए रहगुज़र कोई और है,

यहाँ पुरनम अपना न दिल लगा कि यहाँ क़याम है आरज़ी
जहाँ तुझ को रहना है मुस्तक़िल वो मकाँ वो घर कोई और है..!!

~पुरनम इलाहाबादी

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