हौसला खो न दिया तेरी नहीं से हम ने
कितनी शिकनों को चुना तेरी जबीं से हम ने,
वो भी क्या दिन थे कि दीवाना बने फिरते थे
सुन लिया था तेरे बारे में कहीं से हम ने,
जिस जगह पहले पहल नाम तेरा आता है
दास्ताँ अपनी सुनाई है वहीं से हम ने,
यूँ तो एहसान हसीनों के उठाए हैं बहुत
प्यार लेकिन जो किया है तो तुम्हीं से हम ने,
कुछ समझ कर ही ख़ुदा तुझ को कहा है वर्ना
कौन सी बात कही इतने यक़ीं से हम ने..!!
~जाँ निसार अख़्तर