किसी के ज़ख्म पर चाहत से पट्टी कौन बांधेगा
अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बांधेगा ?
जहां लड़की कि इज़्ज़त लुटना एक खेल बन जाए
वहां पर ऐ कबूतर तेरे चिट्ठी कौन बांधेगा ?
ये बाज़ार ए सियासत है यहां ख़ुद्दारियां कैसी
सभी के हाथ में कासा है मुट्ठी कौन बांधेगा ?
तुम्हारी महफ़िलों में हम बड़े बूढ़े ज़रूरी हैं
अगर हम ही नहीं होंगे तो पगड़ी कौन बांधेगा ?
मुक़द्दर देखिए वो बांझ भी है और बुढ़ी भी
हमेशा सोचती रहती है गठरी कौन बांधेगा ?
~ मुनव्वर राना