युसुफ़ न थे मगर सर ए बाज़ार आ गए

युसुफ़ न थे मगर सर ए बाज़ार आ गए
ख़ुश फहमियाँ ये थी कि ख़रीदार आ गए,

आवाज़ दे के छिप गई हर बार ज़िन्दगी
हम ऐसे सादा दिल थे कि हर बार आ गए,

अब दिल में हौसला न सकत बाज़ूओं में है
अब के मुक़ाबले में मेरे यार आ गए,

और सूरज की दोस्ती पे जिन्हें नाज़ था फराज़
वो भी तो ज़ेर ए साया ए दीवार आ गए..!!

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