खो गया है जो उस को खोने दो
फिर नया ख़्वाब मुझ को बोने दो,
सुनों ऐ बस्तियों को उजाड़ने वालो
अब मदारी का खेल होने दो,
ख़्वाहिशों ख़्वाब देखना छोड़ो
अब नींद आई है मुझको सोने दो,
रौशनाई न ख़त्म हो जाए
काग़ज़ों को सियाह होने दो,
हर घड़ी ये ख़याल आता है
ज़िंदगी के हैं सिर्फ़ कोने दो,
झूठ बुनियाद ही नहीं रखता
रूबरू सच से सब को होने दो,
आँसुओं से धुली ज़मीनों पर
अब ज़रा धूप को भी रोने दो,
चाँद क्यों जागता है साथ मेरे
रात के बज रहे हैं पौने दो..!!
~चाँदनी पांडे