हमारे सब्र के दामन को तार तार न कर
निगाह ए जोक तलब इतना बे क़रार न कर,
बड़े ख़ुलूस से आये हैं तेरी महफ़िल में
हमारा खून ए तमन्ना ऐ पर्दादार न कर,
ये एतमाद ए मुहब्बत ये ऐतबार ए वफ़ा
कज़ा को देख मगर उनका इंतज़ार न कर,
कफ़स में ताने बहारों के दे न ऐ सय्याद
सितमज़दा पे सितम ऐ सितम सितम शि’आर न कर,
चमन को तर्क किए मुद्दतें हुई आदिल
हमारे सामने अब क़िस्सा ए बहार न कर..!!