और क्या करता बयान ए गम तुम्हारे सामने

और क्या करता बयान ए गम तुम्हारे सामने
मेरी आँखें हो गई पुरनम तुम्हारे सामने,

हम जुदाई में तुम्हारी मर भी सकते हैं मगर
चाहते ये हैं कि निकले दम तुम्हारे सामने,

जिसमें हम दोनों के बचपन की भी एक तस्वीर है
ढूँढ कर लाया हूँ वो एल्बम तुम्हारे सामने,

आते आते लब पे रह जाती हैं दिल की हसरतें
खोलते हैं हम जुबां कम कम तुम्हारे सामने,

तुम समन्दर की तरह आग़ोश वा करते नहीं
हम तो बन जाते हैं मौज ए यम तुम्हारे सामने,

किस लिए तुम नींद में शरमा रहे हो इस तरह
ख़्वाब में क्या आ गए हैं हम तुम्हारे सामने..!!

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