ज़िन्दगी ने लिया है ऐसा इम्तिहाँ मेरा
सदा ही साथ रहा है गम ए दौराँ मेरा,
दिन ओ रात रहता है दिल परेशाँ मेरा
फक़त उस पे ही नहीं है हाल अयाँ मेरा,
उस से बातें तो बहुत कहनी होती है
लेकिन रूबरू साथ नहीं देता जुबां मेरा,
जो शख्स मुझे सारी दुनियाँ से अजीज़ था
वही लूट कर ले गया सारा जहाँ मेरा,
ज़ालिम आंधियाँ हर सिम्त मंडरा रही है
कहीं गिरा न दें ये आशियाँ मेरा..!!