ये दिल टूट न जाए इस बात पर…

ये दिल टूट न जाए इस बात पर
एक तरफ़ा ही ज़ोर लगाया मैंने,

मेरे दिल की आवाज़ सुन सको
इस क़दर ख़ुद को रुलाया मैंने,

शिकस्ता ए दिल लिए फिरता रहा
पर कभी फ़ायदा नहीं उठाया मैंने,

कोई ऊँगली न उठ सके ज़माने में
तुम्हे इस क़दर अच्छा बताया मैंने,

तुम से, सब से, और ना जाने कब से
अपना दर्द ए दिल यूँ छुपाया मैंने,

खत्म ए मुहब्बत हुई आख़िर तुम पे
तुम पे ख़ुद को इतना लुटाया मैंने..!!

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