ये दिल बे इख़्तियार ओ बे इरादा खेलता रहता है

ये दिल बे इख़्तियार ओ बे इरादा खेलता रहता है
ख़िरद के हुक्म पर दिल की इताअत कौन करता है ?

मोहब्बत काम दीवानों का, मजनूँ की रिवायत है
ख़िरद से पूछिए, ऐसी खुराफ़ात कौन करता है ?

वफ़ा की जुस्तज़ू में ज़ख्म खा कर भी मुस्कुराता है
अंधेरों में चिरागों की हिफाज़त कौन करता है ?

मतलबी दुनियाँ फ़ायदे के नाम पर रिश्ते बनाती है
खुलुस दिल से रिश्तों की सदाक़त कौन करता है ?

अगरचे बेवफ़ा लाखों हों फिर भी ये सवाल उठता है
हकीक़त जान कर भी ऐसी हिमाक़त कौन करता है..??

~नवाब ए हिन्द


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