याद आता है मुझे छोड़ के जाने वाला
मेरी हर शाम को रंगीन बनाने वाला,
आज रो कर वो हसीं पलकें भिगो देता है
मेरे हालात पे दुनियाँ को हँसाने वाला,
ये न सोचा था कभी तुम भी बदल सकते हो
कैसे अपना लिया हर रंग ज़माने वाला ?
मुझको महसूर किया यार तेरी ज़ुल्फो ने
वरना मैं था न किसी दाम में आने वाला,
हाथ से हाथ झटक कर ये कहा था उसने
ढूँढ लेना कोई, अब सीने से लगाने वाला,
जिसने भी दीद लड़ाई वही बिस्मिल ठहरा
सोच कर आँख लड़ाए, आँख लड़ाने वाला,
हाँ यही शख्स मेरी जान हुआ करता था
अब मुझे देख के नज़रों को चुराने वाला,
मेरी इस चश्म ए तस्सवुर का मकीं है अब तक
वो जो एक शख्स है मुँह फेर के जाने वाला,
आज जाना तेरे दिलबर का दम ए रुखसत है
हाय ! जी सकता है क्या तुझको गँवाने वाला..!!