तू ख़ुश है गर मुझ से जुदा होने पर

तू ख़ुश है गर मुझ से जुदा होने पर
कोई गिला नहीं फिर तेरे बे वफ़ा होने पर,

जब जिस्म नहीं तेरी रूह से मुहब्बत की है
तो फिर गम क्या तेरे और किसी का होने पर,

है ख़ुशी कि तेरे हिस्से में गुलिस्तान आये
नहीं दुःख अपने मुकीम ए सहरा होने पर,

तू जो देखे मुस्कुरा कर तो जान आती है
मगर जान जाती है तुम्हारे खफ़ा होने पर,

जब तक थे ज़िन्दां में सब गायब थे अहबाब
अब आये हैं साथ निभाने रिहा होने पर,

दस्त ए ज़ालिम को तो रोकना मुमकिन है
क्या कीजिए मगर आँखों से जफ़ा होने पर..!!

Leave a Reply

Receive the latest Update in your inbox