तो क्या ये तय है कि अब उम्र भर नहीं मिलना
तो क्या ये तय है कि अब उम्र भर नहीं मिलना तो फिर ये उम्र भी क्यों तुम …
तो क्या ये तय है कि अब उम्र भर नहीं मिलना तो फिर ये उम्र भी क्यों तुम …
अपने साये से भी अक्सर डर जाते है लोग जाने अनजाने में गुनाह कर जाते है लोग, लिखी …
कुछ इस लिए भी तह ए आसमान मारा गया मैं अपने वक़्त से पहले यहाँ उतारा गया, ये …
ख़ाली हाथ ही जाना है क्या खोना क्या पाना है चाहे जितने नाते जोड़ें एक दिन टूट ही …
अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया कि एक उम्र चले और घर नहीं आया, उस एक …
अज़ब कर्ब में गुज़री, जहाँ जहाँ गुज़री अगरचे चाहने वालों के दरम्याँ गुज़री, तमाम उम्र चराग ए उम्मीद …
औरों की प्यास और है और उसकी प्यास और कहता है हर गिलास पे बस एक गिलास और, …
यहाँ किसे ख़बर है कि ये उम्र बस इसी पे गौर करने में कट रही है, कि ये …
कुछ चलेगा ज़नाब, कुछ भी नहीं चाय, कॉफ़ी, शराब, कुछ भी नहीं, चुप रहे तो कली लगे वो …