जिनकी सूरत पे तुम्हारा सारा शहर मरता है…

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ये जो बात बात में उन हसीन आँखों की बात करते होवो उन आँखों में हमारा अक्स रखते

समंदर और साहिल प्यास की ज़िन्दा अलामत है

ek bhatke hue lashkar ke siwa kuch bhi nahi

तुम्हारा मुन्तज़िर हूँ तो हज़ारों घर बनाता हूँवो रस्ते बनते जाते है कुछ इतने दर बनाता हूँ, जो

दो चार क़दम चलने को चलना नहीं कहते

Do chaar qadam chalne

मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहतेदो चार क़दम चलने को चलना नहीं कहते इक हम हैं

किसी का दिखावे का प्यार नहीं

बेलौस मुफ़्लिसी भी है

बेलौस मुफ़्लिसी भी है क़ुबूल मुझेमगर अमीर ए शहर बदकार नहीं, दुश्मन ए बदतर से भी निभा लूँगामगर

लम्हा भर वो भी तड़पती होगी

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तड़पता हूँ मैं लैल ओ नहारलम्हा भर वो भी तड़पती होगी दुआओं में वो भी ख़ुदा सेकोई फ़रियाद

बेलौस प्यार कहाँ करते है लोग ?

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रूबरू हो कर भी इस ज़माने मेंकिसी पे ऐतबार कहाँ करते है लोग ? मतलबपरस्तो की इस दुनियाँ

इन्सान हूँ इंसानियत की तलब है

इन्सान हूँ इंसानियत की

इन्सान हूँ इंसानियत की तलब हैकिसी खुदाई का तलबगार नहीं हूँ, ख़ुमारी ए दौलत ना शोहरत का नशाअबतक

अपनी खताओ पे शर्मिन्दा भी हो जाता हूँ

अपनी खताओ पे शर्मिन्दा

अपनी खताओ पे शर्मिन्दा भी हो जाता हूँमुझे तुम्हारी तरह बहाने बनाना नहीं आता, गर हूँ ख़तावार तो

पहले मगफिरत की दुआ कीजिए

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चाहते है इज्ज़त ओ मुक़ाम ए बलंदी तोसर को खालिक़ के आगे झुका लीजिए, गर है ख्वाहिश पाने

फूँक मार कर बुझाने में लगे है

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कइयो ने कोशिश कर लीकई और मिटाने में लगे है, सदियों से ज़ालिम ज़माने वालेनारियो को गिराने में