क्या ज़माना था कि हम रोज़ मिला करते थे
क्या ज़माना था कि हम रोज़ मिला करते थे रात भर चाँद के हमराह फिरा …
क्या ज़माना था कि हम रोज़ मिला करते थे रात भर चाँद के हमराह फिरा …
एहसास ए इश्क़ दिल की पनाहों में आ गया बादल सिमट के चाँद की बाहोँ …
वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे चाँद कहते हैं किसे ख़ूब समझते होंगे, इतनी …