हमें कुछ पता नहीं है हम क्यूँ बहक रहे हैं ?
हमें कुछ पता नहीं है हम क्यूँ बहक रहे हैं ? रातें सुलग रही हैं दिन भी दहक …
हमें कुछ पता नहीं है हम क्यूँ बहक रहे हैं ? रातें सुलग रही हैं दिन भी दहक …
हिज़ाब तेरे चेहरे पर आ मैं सजा दूँ बाग़ ए इरम की तुझे मैं हूर बना दूँ, …
मुमकिन ही न थी ख़ुद से शनासाई यहाँ तक ले आया मुझे मेरा तमाशाई यहाँ तक, रस्ता हो …
वो एक लम्हा मुहब्बत भरा तेरे साथ ज़िन्दगी भर की ख़ुशियों पर भारी है, हम ही नहीं दिल …
तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे इश्क़ तेरा सताए तो मैं क्या करूँ ? कोई इतना तो आ …
अब शौक़ से कि जाँ से गुज़र जाना चाहिए बोल ऐ हवा ए शहर किधर जाना चाहिए ? …
नाज़ उसके उठाता हूँ रुलाता भी मुझे है ज़ुल्फो में सुलाता भी, जगाता भी मुझे है, आता है …
वफ़ा ए वादा नहीं वादा ए दिगर भी नहीं वो मुझसे रूठे तो थे लेकिन इस क़दर भी …
कुछ रोज़ से रोज़ शाम बस यूँ ही ढल जाती है बीती हुई यादो की शमाँ मेरे सिरहाने …
शाम आई तिरी यादों के सितारे निकले रंग ही ग़म के नहीं नक़्श भी प्यारे निकले, एक मौहूम …