अपने साये से भी

अपने साये से भी अक्सर डर जाते है लोग जाने अनजाने में गुनाह कर जाते

kuch is liye bhi tah e aasmaan maara gaya

कुछ इस लिए भी तह ए आसमान मारा गया मैं अपने वक़्त से पहले यहाँ

khaali hath hi jaana hai

ख़ाली हाथ ही जाना है क्या खोना क्या पाना है चाहे जितने नाते जोड़ें एक

azaab ye bhi kisi aur pe nahi aaya

अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया कि एक उम्र चले और घर नहीं

azab karb me guzari jahan jahan guzri

अज़ब कर्ब में गुज़री, जहाँ जहाँ गुज़री अगरचे चाहने वालों के दरम्याँ गुज़री, तमाम उम्र

auro ki pyas aur hai aur uski pyas aur

औरों की प्यास और है और उसकी प्यास और कहता है हर गिलास पे बस

yahan kise khabar hai ki

यहाँ किसे ख़बर है कि ये उम्र बस इसी पे गौर करने में कट रही

kuch chalega zanab kuch bhi nahi

कुछ चलेगा ज़नाब, कुछ भी नहीं चाय, कॉफ़ी, शराब, कुछ भी नहीं, चुप रहे तो