Skip to contentअपने साये से भी अक्सर डर जाते है लोग जाने अनजाने में गुनाह कर जाते
कुछ इस लिए भी तह ए आसमान मारा गया मैं अपने वक़्त से पहले यहाँ
ख़ाली हाथ ही जाना है क्या खोना क्या पाना है चाहे जितने नाते जोड़ें एक
अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया कि एक उम्र चले और घर नहीं
अज़ब कर्ब में गुज़री, जहाँ जहाँ गुज़री अगरचे चाहने वालों के दरम्याँ गुज़री, तमाम उम्र
औरों की प्यास और है और उसकी प्यास और कहता है हर गिलास पे बस
यहाँ किसे ख़बर है कि ये उम्र बस इसी पे गौर करने में कट रही
कुछ चलेगा ज़नाब, कुछ भी नहीं चाय, कॉफ़ी, शराब, कुछ भी नहीं, चुप रहे तो