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इश्क़ शायरी

न जी भर के देखा न कुछ बात की…

naa jee bhar ke dekha naa koi baat ki

न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की, उजालों की परियाँ नहाने …

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मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे…

musafir ke raste badalte rahe muqaddar me chalna tha chalte rahe

मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे मुक़द्दर में चलना था चलते रहे, कोई फूल सा हाथ काँधे पे था …

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प्यास जो उम्र भर न बुझी पुरानी होगी…

pyas jo umr bhar naa bujhi purani hogi

प्यास जो उम्र भर न बुझी पुरानी होगी कभी तो आख़िर वो प्यास बुझानी होगी, उम्र गुज़ार दी …

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गुल तेरा रंग चुरा लाए है गुलज़ारो में…

gul tera rang chura laaye hai gulzaro me

गुल तेरा रंग चुरा लाए है गुलज़ारो में जल रहा हूँ भरी बरसात की बौछारों में, मुझसे कतरा …

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आओ बाँट ले सब दर्द ओ अलम…

aao baant le sab dard o alam

आओ बाँट ले सब दर्द ओ अलम कुछ तुम रख लो, कुछ हम रख ले अब पोंछ ले …

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वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी…

wo mere haal pe roya bhi muskuraya bhi

वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी अजीब शख़्स है अपना भी है पराया भी, ये इंतिज़ार …

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फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है…

fasana ab koi anzam pana chahta hai

फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है तअल्लुक़ टूटने को एक बहाना चाहता है, जहाँ एक शख़्स भी …

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बारिश के क़तरे के दुख से ना वाक़िफ़ हो…

barish ke qatre ke dukh se na waqif ho

बारिश के क़तरे के दुख से ना वाक़िफ़ हो तुम हँसते चेहरे के दुख से ना वाक़िफ़ हो, …

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खुल के मिलने का सलीक़ा उन्हें आता नहीं…

khul kar milne ka saliqa unhe aata nahi

खुल के मिलने का सलीक़ा उन्हें आता नहीं और मेरे क़रीब तो कोई चोर दरवाज़ा नहीं, वो समझते …

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अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं…

kuch ashaar mere yun to zamane ke liye hai

अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं कुछ शेर फकत उनको सुनाने के लिए हैं, अब ये …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

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फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने