हरगिज़ किसी भी तौर किसी के न हो सके…

hargiz kisi bhi taur kisi ke naa ho sake

हरगिज़ किसी भी तौर किसी के न हो सके हम उसके बाद और किसी के न हो सके,

एक रात लगती है एक सहर बनाने में…

ek raat lagti hai ek sahar banane me

एक रात लगती है एक सहर बनाने में हमने क्यों नहीं सोचा हमसफ़र बनाने में ? मंज़िलें बदलते

दिन रात उसके हिज्र का दीमक लगे लगे…

din raat uske hizr ka dimak lage lage

दिन रात उसके हिज्र का दीमक लगे लगे दिल के तमाम ख़ाने मुझे खोखले लगे, महफ़िल में नाम

छोड़ कर ऐसे गया है छोड़ने वाला मुझे…

chhod kar aise gaya hai chhodne wala mujhe

छोड़ कर ऐसे गया है छोड़ने वाला मुझे दोस्तो उसने कहीं का भी नहीं छोड़ा मुझे, बोलबाला इस

अब दरमियाँ कोई भी शिकायत नहीं बची…

ab darmiyan koi bhi shikayat nahi bachi

अब दरमियाँ कोई भी शिकायत नहीं बची या’नी क़रीब आने की सूरत नहीं बची, अब और कोई सदमा

अगर जो प्यार ख़ता है तो कोई बात नहीं…

agar pyar jo khata hai to koi baat nahi

अगर जो प्यार ख़ता है तो कोई बात नहीं क़ज़ा ही इसकी सज़ा है तो कोई बात नहीं,

पथरा गई आँखे तेरा इंतज़ार करते करते…

pathara gai aankhe tera intzar karte karte

पथरा गई आँखे तेरा इंतज़ार करते करते टूट गए हम एक तरफ़ा प्यार करते करते, क़यामत है इज़हार

रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना…

ret bhari hai in aankho me aansoo se tum dho lena

रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना कोई सूखा पेड़ मिले तो उस से

फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे…

fool barse kahin shabnam kahin gauhar barse

फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे, कोई बादल

नज़र से गुफ़्तुगू ख़ामोश लब तुम्हारी तरह…

nazar se guftagoo khamosh lab tumhari tarah

नज़र से गुफ़्तुगू ख़ामोश लब तुम्हारी तरह ग़ज़ल ने सीखे हैं अंदाज़ सब तुम्हारी तरह, जो प्यास तेज़