हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है
हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है खैर छोड़ो ! अब तो इन्सान लेते है, इश्क़ ने ऐसी
हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है खैर छोड़ो ! अब तो इन्सान लेते है, इश्क़ ने ऐसी
इन्सान भूल चुका है इन्सान की क़ीमत बाज़ार में बढ़ गई आज हैवान की क़ीमत, इक्तिदार में आते
दरियाँ का शोर मचाना और समंदर का ख़ामोश रहना वक़्त आने पर हर एक के हुनर ए खास
हमारे जैसे तुम्हे ख़राबो में मिलेंगे धुल पड़ी कहीं किताबो में मिलेंगे, ज़फागर से किये वफ़ाओ में मिलेंगे
तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ ज़मीं पे
कर्ब ए फ़ुर्क़त रूह से जाता नहीं हल कोई ग़म का नज़र आता नहीं, काश होता इल्म ये
कर्ब ए फ़ुर्क़त रूह से जाता नहीं हल कोई ग़म का नज़र आता नहीं, काश होता इल्म ये
इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी, ख़ूँख़्वार दरिंदों के
ये न पूछो कि कैसा ये हिन्दुस्तान होना चाहिए खत्म पहले मज़हब का घमासान होना चाहिए, इन्सान को
फ़ासले क़ुर्ब की पहचान हुआ करते हैबेसबब लोग परेशान हुआ करते है, ये हकीक़त है जहाँ टूट के