ये किसका कर रहा है इंतज़ार आदमी

ये किसका कर रहा

ये किसका कर रहा है इंतज़ार आदमी जब ख़ुद ही ला सकता है बहार आदमी, मिलता नहीं मुफ़्त

बुझ गई आँख तेरा इंतज़ार करते करते

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बुझ गई आँख तेरा इंतज़ार करते करते टूट गए हम एक तरफ़ा प्यार करते करते, क़यामत है इज़हार