सियासत ने बदला में’यार मुल्क में हुक्मरानी का
देश चलने लगा है पा कर इशारे अमीर घरानों से,
इन्सान पहचाने जाने लगे अब रंगों और हैवानो से
यकज़हती की क़ीमत पूछो आज़ादी के दीवानों से,
हरामखोरो ने जकड़ रखा है निज़ाम ए ज़म्हुरियत
और तुम उम्मीद ए इंसाफ़ रखते हो ऐसे शैतानो से ?
न नारों, न जुलूसो से और न प्रदर्शन या धरनों से
न चीख ओ पुकार, न गाली गलौज के बयानों से,
ऐ अहल ए वतन रखना तुम याद बस इतना कि
मिलेगी आज़ादी तुमको फक़त आईन के एवानो से..!!
~नवाब ए हिन्द