काम इस दिल की तबाही से लिया क्या जाए…
काम इस दिल की तबाही से लिया क्या जाए सोचता हूँ कि ख़राबे में किया क्या जाए ? …
काम इस दिल की तबाही से लिया क्या जाए सोचता हूँ कि ख़राबे में किया क्या जाए ? …
इश्क़ सहरा है कि दरियाँ कभी सोचा तुमने तुझसे क्या है मेरा नाता कभी सोचा तुमने ? हाँ …
दोस्तों ! आज मैं दिल में छुपे कुछ राज़ बयाँ करता हूँ दुःख से जुड़े ग़ुरबत के दिनों …
एक मंज़र यूं नजर आया कि मैं भी डर गया हाथ में रोटी थी जिसके वो भिखारी …
वो मुहब्बत गई वो फ़साने गए जो खज़ाने थे अपने खज़ाने गए, चाहतो का वो दिलकश ज़माना गया …
दिल जब घबराये तो ख़ुद को एक क़िस्सा सुना देना ज़िन्दगी कितनी भी मुश्किल क्यूँ ना हो मुस्कुरा …
तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है खैरात जो देता है वही लूटता भी है, ईमान को …
यही कम नहीं है ज़िन्दगी के लिए यहाँ चैन मिल जाए दो घड़ी के लिए, दिल ए ज़ार …
आपसे किसने कहा स्वर्णिम शिखर बनकर दिखो शौक दिखने का है तो फिर नींव के अंदर दिखो, चल …
जब तलक लगती नहीं है बोलियाँ मेरे पिता तब तलक उठती नहीं है डोलिया मेरे पिता, आज भी …