कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ…
कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ साथ लाया हूँ उसी को जिसे खोना है यहाँ, …
कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ साथ लाया हूँ उसी को जिसे खोना है यहाँ, …
कुछ रोज़ से रोज़ शाम बस यूँ ही ढल जाती है बीती हुई यादो की शमाँ मेरे सिरहाने …
शाम आई तिरी यादों के सितारे निकले रंग ही ग़म के नहीं नक़्श भी प्यारे निकले, एक मौहूम …
ताज़ा मोहब्बतों का नशा जिस्म-ओ-जाँ में हैफिर मौसम-ए-बहार मिरे गुल्सिताँ में है, इक ख़्वाब है कि बार-ए-दिगर देखते …
तेरे साथ सफ़र मैं कुछ इस तरह करता रहा दूर हो कर भी महसूस तुम्हे हरदम करता रहा, …
आंधियाँ भी चले और दीया भी जले होगा कैसे भला आसमां के तले ? अब भरोसा करे भी …
ज़मी सूखी है और पानी के भी लाले है इन्सान ही आज इन्सान के निवाले है जिनके दिलो …
बदनाम मेरे प्यार का अफ़साना हुआ है दीवाने भी कहते है कि दीवाना हुआ है, रिश्ता था तभी …
अज़ब मअमूल है आवारगी का गिरेबाँ झाँकती है हर गली का, न जाने किस तरह कैसे ख़ुदा ने …
हादसे ज़ीस्त की तौक़ीर बढ़ा देते हैं ऐ ग़म ए यार तुझे हम तो दुआ देते हैं, तेरे …