बताओ दिल की बाज़ी में भला क्या बात गहरी थी ?

bataao dil ki baat me kya baat gahri thi

बताओ दिल की बाज़ी में भला क्या बात गहरी थी ? कहा, यूँ तो सभी कुछ ठीक था

अपने अंदाज़ में औरों से जुदा लगते हो

apne andaj men auro se juda lagte ho

अपने अंदाज़ में औरों से जुदा लगते हो सब बला लगते हैं तुम रद ए बला लगते हो,

नाम ए मुहब्बत का यही इस्तिआरा है

naam e muhabbat ka yahi

नाम ए मुहब्बत का यही इस्तिआरा है जो नहीं है हासिल वही होता हमारा है, माज़ी में छोड़

कुछ इस लिए भी तह ए आसमान मारा गया

kuch is liye bhi tah e aasmaan maara gaya

कुछ इस लिए भी तह ए आसमान मारा गया मैं अपने वक़्त से पहले यहाँ उतारा गया, ये

हमें ये खौफ़ था एक दिन यहीं से टूटेंगे

hamen ye khauf tha ek din yahi se

हमें ये खौफ़ था एक दिन यहीं से टूटेंगे हमारे ख्वाब तुम्हारी तहीं से टूटेंगे, बददुआ तो नहीं

ये ज़हमत भी तो रफ़्ता रफ़्ता रहमत हो ही जाती है

ye jahmat bhi to rafta rafta rahmat..

ये ज़हमत भी तो रफ़्ता रफ़्ता रहमत हो ही जाती है मुसलसल गम से गम सहने की आदत

दूर ख्वाबों से मुहब्बत से किनारा कर के

door khwabon se muhabbat se kinara kar ke

दूर ख्वाबों से मुहब्बत से किनारा कर के जैसे गुजरेगी गुजारेंगे गुज़ारा कर के, अब तो दावा भी

लिखतें हैं दिल का हाल सुबह ओ शाम मुसलसल

likhta hoon dil ka haal subah o shaam

लिखतें हैं दिल का हाल सुबह ओ शाम मुसलसल तुम आते हो बहुत याद, सुबह ओ शाम मुसलसल,

ज़ाब्ते और ही मिस्दाक़ पे रखे हुए हैं

zaabte aur hi misdaq pe rakhe hue

ज़ाब्ते और ही मिस्दाक़ पे रखे हुए हैं आजकल सिदक़ ओ सफ़ा ताक़ पे रखे हुए हैं, वो

कितनी सदियाँ ना रसी की इंतिहा में खो गईं

kitni sadiyan naa rasi ki intiha me

कितनी सदियाँ ना रसी की इंतिहा में खो गईं बे जहत नस्लों की आवाज़ें ख़ला में खो गईं,