मैं न कहता था कि शहरों में न जा यार मेरे
मैं न कहता था कि शहरों में न जा यार मेरे सोंधी मिट्टी ही में होती है वफ़ा
मैं न कहता था कि शहरों में न जा यार मेरे सोंधी मिट्टी ही में होती है वफ़ा
आधुनिक युग की कविता 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से विकसित हुई साहित्यिक विधा
रीति काव्य मध्यकालीन काल के दौरान उभरी हिन्दी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है, जो लगभग 16वीं से
भक्ति कविता भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली विधा है जो मध्यकालीन काल में उभरी, आठवीं से
हिंदी कविता और ग़ज़लें हिंदी कविता और ग़ज़लें भारत की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग
दर्द ख़ामोश रहा टूटती आवाज़ रही मेरी हर शाम तेरी याद की हमराज़ रही, शहर में जब भी
मेरे लबों पे उसी आदमी की प्यास न हो जो चाहता है मेरे सामने गिलास न हो, ये
जब मेरे होंठों पे मेरी तिश्नगी रह जाएगी तेरी आँखों में भी थोड़ी सी नमी रह जाएगी, सरफिरा
जो शजर बे लिबास रहते हैं उन के साए उदास रहते हैं, चंद लम्हात की ख़ुशी के लिए
ग़म इसका कुछ नहीं है कि मैं काम आ गया ग़म ये है कि क़ातिलों में तेरा नाम