क्या बताऊँ कि जो हंगामा बपा है मुझ में
क्या बताऊँ कि जो हंगामा बपा है मुझ में इन दिनों कोई बहुत सख़्त ख़फ़ा है मुझ में,
क्या बताऊँ कि जो हंगामा बपा है मुझ में इन दिनों कोई बहुत सख़्त ख़फ़ा है मुझ में,
अपनी ख़बर, न उस का पता है, ये इश्क़ है जो था, नहीं है, और न था, है,
चलो तुम को मिलाता हूँ मैं उस मेहमान से पहले जो मेरे जिस्म में रहता था मेरी जान
मोहब्बत की रंगीनियाँ छोड़ आए तेरे शहर में एक जहाँ छोड़ आए, पहाड़ों की वो मस्त शादाब वादी
सर ए मिंबर वो ख़्वाबों के महल तामीर करते हैं इलाज ए ग़म नहीं करते फ़क़त तक़रीर करते
ग़ालिब ओ यगाना से लोग भी थे जब तन्हा हम से तय न होगी क्या मंज़िल ए अदब
दयार ए दाग़ ओ बेख़ुद शहर ए देहली छोड़ कर तुझ को न था मा’लूम यूँ रोएगा दिल
कैसे कहें कि याद ए यार रात जा चुकी बहुत रात भी अपने साथ साथ आँसू बहा चुकी
हर गाम पर थे शम्स ओ क़मर उस दयार में कितने हसीं थे शाम ओ सहर उस दयार
घर के ज़िंदाँ से उसे फ़ुर्सत मिले तो आए भी जाँ फ़ज़ा बातों से आ के मेरा दिल