चलो मंज़ूर है मुझको, मुझे कुछ भी सजा दे दो…
चलो मंज़ूर है मुझकोमुझे कुछ भी सजा दे दोसुनो ! गर मिल नहीं पाएतो एक दूजे से कहते …
चलो मंज़ूर है मुझकोमुझे कुछ भी सजा दे दोसुनो ! गर मिल नहीं पाएतो एक दूजे से कहते …
एक मुसलसल से इम्तिहान में हूँजबसे या रब मैं तेरे इस जहान में हूँ, सिर्फ़ इतना सा है …
ये तो इस पर है कि कब और कहाँ होने लगेये तमाशा वो जहाँ चाहे वहाँ होने लगे, …
ग़ज़ल को फिर सजा के सूरत ए महबूब लाया हूँसुनो अहल ए सुखन ! मैं फिर नया असलूब …
दिल ए गुमशुदा ! कभी मिल ज़राकिसी ख़ुश्क खाक़ के ढेर परया किसी मकान की मुंडेर पर, दिल …
आँखों में नींदों के सिलसिले भी नहींशिक़स्त ए ख़्वाब के अब मुझमे हौसले भी नहीं, नहीं नहीं ! …
यूँ ही उम्मीद दिलाते है ज़माने वालेकब पलटते है भला छोड़ के जाने वाले, तू कभी देख झुलसते …
हसरतों से भरा क़ब्रिस्तान हूँ मैंआबाद कर मुझे कि वीरान हूँ मैं, तसल्ली दे मुझको कि तू है …
तरसती आँखे, उदास चेहरा, नहीफ़ लहज़ा, बगैर तेरेबिखरी ज़ुल्फे, लिबास उजड़ा, वज़ूद ख़स्ता, बगैर तेरे, अमीक़ जंगल, घप …
मेरे जैसा बन जाओगे, जब इश्क़ तुम्हे हो जाएगादीवारों से टकराओगे, जब इश्क़ तुम्हे हो जाएगा, हर बात …