मुश्किल दिन भी आए लेकिन फ़र्क़….

मुश्किल दिन भी आए

मुश्किल दिन भी आए लेकिन फ़र्क़ न आया यारी में हम ने पूरी जान लगाई उस की ताबेदारी

दश्त की धूप है जंगल की घनी रातें हैं

दश्त की धूप है

दश्त की धूप है जंगल की घनी रातें हैं इस कहानी में बहर हाल कई बातें हैं, गो

दूर होते हुए क़दमों की ख़बर जाती है

door hote hue qadmo ki

दूर होते हुए क़दमों की ख़बर जाती है ख़ुश्क पत्ते को लिए गर्द ए सफ़र जाती है, पास

उसे बेचैन कर जाऊँगा मैं भी…

use bechain kar jaaoounga

उसे बेचैन कर जाऊँगा मैं भी ख़मोशी से गुज़र जाऊँगा मैं भी, मुझे छूने की ख़्वाहिश कौन करता

महफ़िलें लुट गईं जज़्बात ने दम…

mahfile loot gai jazbat

महफ़िलें लुट गईं जज़्बात ने दम तोड़ दिया साज़ ख़ामोश हैं नग़्मात ने दम तोड़ दिया, हर मसर्रत

चेहरे पे सारे शहर के गर्द ए मलाल है…

chehre pe saare shahar ke

चेहरे पे सारे शहर के गर्द ए मलाल है जो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल

जो वफ़ा का रिवाज रखते हैं…

jo wafa ka riwaz rakhte hai

जो वफ़ा का रिवाज रखते हैं साफ़ सुथरा समाज रखते हैं, क़ाबिल ए रहम हैं वो इंसाँ जो

इलाज ए ज़ख़्म ए दिल होता है…

इलाज ए ज़ख़्म ए

इलाज ए ज़ख़्म ए दिल होता है ग़मख़्वारी भी होती है मगर मक़्तल की मेरे ख़ूँ से गुलकारी

ख़्वाब का रिश्ता हक़ीक़त से न जोड़ा जाए

khwab ka rishta haqiqat

ख़्वाब का रिश्ता हक़ीक़त से न जोड़ा जाए आईना है इसे पत्थर से न तोड़ा जाए, अब भी

दुनियाँ में शातिर नहीं अब शरीफ़…

duniyan me shatir nahi

दुनियाँ में शातिर नहीं अब शरीफ़ लटकते है अब सच्चो की बात छोड़ो वो तो सर पटकते है,