अभी तो चाँद निकला है, अभी तो रात बाक़ी है…
अभी तो चाँद निकला है, अभी तो रात बाक़ी है दिल को दिल से कहनी है, अभी वो …
अभी तो चाँद निकला है, अभी तो रात बाक़ी है दिल को दिल से कहनी है, अभी वो …
वो लोग जो कुछ रोज़ जवानी में मिलेंगे हर शाम वो फिर तेरी कहानी में मिलेंगे, ढूँढो न …
एक वो इतने खूबरू तौबा उसपे छूने की आरज़ू तौबा ! हाथ काँपेंगे रूह मचलेगी जब वो आएँगे …
यूँ ही तन्हाई में अब दिल को सजा देते है नाम लिखते है तेरा लिख के मिटा देते …
क्या मिला ? और हुआ कितना ख़सारा सोचा बाद मुद्दत के यही क़िस्सा दोबारा सोचा, रात फिर देर …
इश्क़ जब एक मगरूर से हुआ तो फिर छोड़ कर अना ख़ुद को झुकाना पड़ा मुझे, उसने खेला …
लरज़ती छत शिकस्ता बाम ओ दर से बात करनी है मुझे तन्हाई में कुछ अपने घर से बात …
उदास चाँद खुले पानियों में छोड़ गया वो अपना चेहरा मेरे आँसूओ में छोड़ गया, हवा के झोंके …
तेरे फ़िराक़ के लम्हे शुमार करते हुए बिखर गए हैं तेरा इंतिज़ार करते हुए, तुम्हें ख़बर ही नहीं …
सोचता हूँ कि उसे नींद भी आती होगी या मेरी तरह फ़क़त अश्क बहाती होगी, वो मेरी शक्ल …