ज़ी चाहता है फ़लक पे जाऊँ….
ज़ी चाहता है फ़लक पे जाऊँसूरज को गुरूब से बचाऊँ, बस मेरा चले जो गर्दिशो …
ज़ी चाहता है फ़लक पे जाऊँसूरज को गुरूब से बचाऊँ, बस मेरा चले जो गर्दिशो …
अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों कीकोई पहचान ही बाक़ी नहीं वीरानो की, …
अंदाज़ हू ब हू तेरी आवाज़ ए पा का थादेखा निकल के घर से तो …
जब तेरा हुक्म मिला तर्क ए मुहब्बत कर दीदिल मगर उसपे वो धड़का कि क़यामत …
तलाशने सुकून को चला था एक रोज़ कोनफ्स के पीछे चला था एक रोज़ वो, …
अब पहन लीजिये नक़ाबो कोआने दीजिये ना इन्क़लाबो को, तोड़ कर ख़ुशबू लीजिये एक बारऔर …
किस तरह ये दिल हुआ तुम पर फ़िदा, लिख जाऊँगाअपनी पेशानी पे अपनी हर खता …
शिद्दत से हो रहा है दिल बेक़रार आ जामुमकिन नहीं है मुझसे अब इंतज़ार आ …
वो दिखी थी आज ख़्वाब में मुझेचेहरा उनका गुलाब जैसा था, पड़ी जो नज़र तो …
कुछ लफ्ज़ अगर मुझे मिल जाएँमैं उनमे तुझे तहरीर करूँ, अपनी ज़ात के रंग तुझमे …