मिलें हम कभी तो ऐसे कि हिजाब भूल जाए

मिलें हम कभी तो ऐसे कि हिजाब भूल जाए
मैं सवाल भूल जाऊं तू जवाब भूल जाए,

तू किसी ख्याल में हो और उसी ख्याल ही में
कभी मेरे रास्ते में तू गुलाब भूल जाए,

कभी तू जो पढ़ने बैठे मुझे हर्फ़ हर्फ़ देखे
तेरी आँख भीग जाएँ तू किताब भूल जाए,

तेरे ज़हन पर हो हावी मेरी याद इस तरह से
कि तू अपनी ज़िन्दगी का ये निसाब भूल जाए,

तू जो देखे मेरी जानिब तो बचूँ मैं एक गुनाह से
तुझे देख लूं मैं इतना कि शराब भूल जाए,

मुझे वो जाते जाते फक़त इतना कह गया है
जिसे दे दिखाई अच्छा वो ख़राब भूल जाए..!!

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