मैंने दुनियाँ से, मुझसे दुनियाँ ने
सैकड़ो बार बेवफ़ाई की,
आसमां चूमता है मेरे क़दम
दाद दीजिए शिकश्तापाई की,
आज वो टूट कर मिला मुझसे
ये शुरुआत है जुदाई की,
खुले रहते है सारे दरवाज़े
कोई सूरत नहीं रिहाई की,
मेरे कमरे में दो परिंदों ने
इन्तेहाँ कर दी बेहयाई की..!!