कोई साया अच्छे साईं धूप बहुत है
मर जाऊँगा अच्छे साईं धूप बहुत है,
साँवली रुत में ख़्वाब जले तो आँख खुली है
मैं ने देखा अच्छे साईं धूप बहुत है,
अब के मौसम यही रहे तो मर जाएगा
एक एक लम्हा अच्छे साईं धूप बहुत है,
कोई ठिकाना बख़्श उसे जो घूम रहा है
मारा मारा अच्छे साईं धूप बहुत है,
एक तो दिल के रस्ते भी दुश्वार बहुत हैं
फिर मैं प्यासा अच्छे साईं धूप बहुत है,
कोई साया आग में जलने वालों पर भी
कोई पुर्वा अच्छे साईं धूप बहुत है,
रात को एक पागल ने शहर की दीवारों पर
ख़ून से लिखा अच्छे साईं धूप बहुत है,
अच्छे साईं मान लिया दुनिया है रौशन
लेकिन ये क्या अच्छे साईं धूप बहुत है,
कौन था जिस से दिल की हालत कह पाता मैं
किस से कहता अच्छे साईं धूप बहुत है..??
~नून मीम दनिश
























1 thought on “कोई साया अच्छे साईं धूप बहुत है”