किसी की क़ैद से आज़ाद हो के रह गए हैं

किसी की क़ैद से आज़ाद हो के रह गए हैं
तबाह हो गए बर्बाद हो के रह गए हैं,

अब और क्या हो तमन्ना ए वस्ल का अंजाम
दिल ओ दिमाग़ तेरी याद हो के रह गए हैं,

कहें तो क़िस्सा ए अहवाल मुख़्तसर ये है
हम अपने इश्क़ की रूदाद हो के रह गए हैं,

किसी की याद दिलों का क़रार ठहरी है
किसी के ज़िक्र से दिल शाद हो के रह गए हैं,

तेरे हुज़ूर जो रश्क ए बहार थे अजमल
ख़राब ओ ख़्वार तेरे बाद हो के रह गए हैं..!!

~अजमल सिराज

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