काम उसके सारे ही सय्याद वाले है…

काम उसके सारे ही सय्याद वाले है
मगर मैं उसे बहेलिया नहीं लिखता

सर्दियाँ जितनी हो सब सह लेता हूँ
कमज़र्फ धूप को अर्ज़ियाँ नहीं लिखता

शहर भी अब मुझे याद नहीं करता
गाँव भी हमको चिठ्ठियाँ नहीं लिखता

सफ़हे सादा ही छोड़ दिया करता हूँ
मगर कभी मैं तल्खियाँ नहीं लिखता..!!

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