जो वफ़ा का रिवाज रखते हैं
साफ़ सुथरा समाज रखते हैं,
क़ाबिल ए रहम हैं वो इंसाँ जो
ख़ाहिश ए तख़्त ओ ताज रखते हैं,
भेज कर हम जहेज़ पर ला’नत
अहल ए ग़ुर्बत की लाज रखते हैं,
दिल कुशादा भी हैं उन्ही के जो
सर पे ग़ुर्बत का ताज रखते हैं,
बरकत अल्लाह देता है ‘साहिल’
लाख हम कम अनाज रखते हैं..!!
~अब्दुल हफ़ीज़ साहिल क़ादरी