जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया,
उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
गम भी शायद वो बरा ए मेहरबानी दे गया,
सब हवाएँ ले गया मेरे समन्दर की कोई
और मुझको एक कश्ती बादबानी दे गया,
खैर मैं प्यासा रहा पर उसने इतना तो किया
मेरी पलकों की क़तारों को वो पानी दे गया..!!
~जावेद अख्तर