जान मेरी जान कोई और है
बात मेरी मान कोई और है,
हो गया हूँ मैं किसी का हमसफ़र
अब मेरी पहचान कोई और है,
नाज़ तेरे ज़ुल्म पर है आज भी
इश्क़ की ये शान कोई और है,
अब उम्र भर की जुदाई किस लिए
ये तेरा एहसान कोई और है,
जी रहा हूँ अब किसी की ज़िन्दगी
ज़िस्म में इन्सान कोई और है,
रास आई कब रफ़ाक़त मर के भी
उसका क़ब्रिस्तान कोई और है..!!