हमारे दिल पे जो ज़ख़्मों का बाब लिखा है
इसी में वक़्त का सारा हिसाब लिखा है,
कुछ और काम तो हम से न हो सका लेकिन
तुम्हारे हिज्र का एक एक अज़ाब लिखा है,
सुलूक नश्तरों जैसा न कीजिए हम से
हमेशा आप को हम ने गुलाब लिखा है,
तेरे वजूद को महसूस उम्र भर होगा
तेरे लबों पे जो हम ने जवाब लिखा है,
हुआ फ़साद तो इस में नहीं किसी का क़ुसूर
हवा ए शहर ने मौसम ख़राब लिखा है,
अगर यक़ीन नहीं तो उठाइए तारीख़
हमारा नाम ब सद आब ओ ताब लिखा है..!!
~मंज़र भोपाली