हालात ए ज़िन्दगी से हुए मज़बूर क्या करे ?
ज़ख्म ए ज़िगर भी हो गए नासूर क्या करे ?
जहाँ में जिन पे नाज़ था हमको बहुत यारो !
मानिंद ए दुनियाँ हो गए मगरूर क्या करे ?
बच्चे भी अब हमारा कहा मानते नहीं
आया बुढ़ापा और हो गए मा’ज़ूर क्या करे ?
हम जिनके वास्ते दुनियाँ में बदनाम हो गए
वो लोग आज हो गए बड़े मशहूर क्या करे ?
दौलत अगर है पास तो सब के अज़ीज़ है
दौर ए ज़दीद का है यही दस्तूर क्या करे ?
जब पास से मिलने को कुछ भी नहीं रहा
हम से अपने पराये हो गए सब दूर क्या करे ?
खैर ख़ुदा के हाथ है सब के क़िस्मत के फ़ैसले
जो भी मिला नसीब, कर लिया मंज़ूर क्या करे ??