गिरह में रिश्वत का माल रखिए

गिरह में रिश्वत का माल रखिए
ज़रूरतों को बहाल रखिए,

बिछाए रखिए अँधेरा हर सू
सितारा कोई उछाल रखिए,

अरे ये दिल और इतना ख़ाली
कोई मुसीबत ही पाल रखिए,

जहाँ कि बस एक तिलिस्म सा है
न टूट जाए ख़याल रखिए,

तुड़ा मुड़ा है मगर ख़ुदा है
इसे तो साहब सँभाल रखिए,

तमाम रंजिश को दिल से अल्वी
वो आ रहा है निकाल रखिए..!!

~मोहम्मद अल्वी

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