ग़म इसका कुछ नहीं है कि मैं काम आ गया

ग़म इसका कुछ नहीं है कि मैं काम आ गया
ग़म ये है कि क़ातिलों में तेरा नाम आ गया,

जुगनू जले बुझे मेरी पलकों पे सुब्ह तक
जब भी तेरा ख़याल सर ए शाम आ गया,

महसूस कर रहा हूँ मैं ख़ुशबू की बाज़गश्त
शायद तेरे लबों पे मेरा नाम आ गया,

कुछ दोस्तों ने पूछा बताओ ग़ज़ल है क्या ?
बे साख़्ता ही लबों पे तेरा नाम आ गया,

मैंने तो एक लाश की दी थी ख़बर फ़राज़
उल्टा मुझी पे क़त्ल का इल्ज़ाम आ गया..!!

~ताहिर फ़राज़

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