ग़म ए जहाँ को शर्मसार करने वाले क्या हुए
वो सारी उम्र इंतिज़ार करने वाले क्या हुए ?
बहम हुए बग़ैर जो गुज़र गईं वो साअतें
वो एक एक पल शुमार करने वाले क्या हुए ?
दुआ ए नीम शब की रस्म कैसे ख़त्म हो गई
वो हर्फ़ ए जाँ पे एतिबार करने वाले क्या हुए ?
कहाँ हैं वो जो दश्त ए आरज़ू में ख़ाक हो गए
वो लम्हा ए अबद शिकार करने वाले क्या हुए ?
तलब के साहिलों पे जलती कश्तियाँ बताएँगी
शनावरी पे एतिबार करने वाले क्या हुए…!!
~इफ़्तिख़ार आरिफ़