दोस्त क्या ख़ूब वफ़ा का सिला देते है…

दोस्त क्या ख़ूब वफ़ा का सिला देते है
हर नये मोड़ पर एक ज़ख्म नया देते है,

तुमसे तो खैर घड़ी भर की मुलाक़ात रही
लोग बरसो की रफ़ाक़त को भूला देते है,

कैसे मुमकिन है कि धुँआ भी न हो और दिल भी जले
चोट पड़ती है तो पत्थर भी सदा देते है,

कौन होता है मुसीबत में किसका ऐ सनम
आग लगती है तो पत्ते भी हवा देते है,

जिन पर होता है बहुत दिल का भरोसा
जाने क्यूँ वक़्त पड़ने पर वही लोग दगा देते है..!!

Leave a Reply

Receive the latest Update in your inbox