दिल को तेरे ध्यान में रखा

दिल को तेरे ध्यान में रखा
शोर सूने मकान में रखा,

हर तरफ़ आइने बिछाए और
एक चेहरा जहान में रखा,

एक आँसू छुपाया मुट्ठी में
एक समुंदर मकान में रखा,

एक मोहब्बत जगाई सीने में
आग को ख़ाक दान में रखा,

जान रखी तुम्हारी चौखट पर
दिल को तेरी अमान में रखा,

धूप फैली हुई थी आँखों में
ख़्वाब को साएबान में रखा,

पाँव की बे सबात वहशत को
गर्दिश ए आसमान में रखा,

ख़ाक होने तलक मेरे दिल ने
मुझ को वहम ओ गुमान में रखा..!!

~नून मीम दनिश

जिन्हें हम कह नहीं पाए वो बातें याद आती हैं

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