धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो…

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो,

सिर्फ़ आँखों से ही दुनिया नहीं देखी जाती
दिल की धड़कन को भी बीनाई बना कर देखो,

पत्थरों में भी ज़बाँ होती है दिल होते हैं
अपने घर के दर-ओ-दीवार सजा कर देखो,

वो सितारा है चमकने दो यूँही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बना कर देखो,

फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो..!!

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