धमाल धूल उड़ाए तो इश्क़ होता है…

धमाल धूल उड़ाए तो इश्क़ होता है
वज़ूद वज्द में आये तो इश्क़ होता है,

बहा रहा है वो जलते चिराग़ पानी में
उतर के तह में जलाए तो इश्क़ होता है,

तपीश तो होती है लेकिन धुआँ नहीं होता
जो आग अश्क़ लगाए तो इश्क़ होता है,

दुकान ए वस्ल तो खोले उदास दिल में मगर
ख़ुशी से हिज़्र कमाए तो इश्क़ होता है,

जो खाल ओ खद में मुक़ैद हो संग की सूरत
पिघल के उसको दिखाए तो इश्क़ होता है,

क़दम क़दम वो धमक हो, ज़मीन धड़क उठे
फ़लक गुबार में आये तो इश्क़ होता है,

असाए जज़्ब की ज़र्बो से तोड़ कर दुनियाँ
नये सिरे से जो बनाए तो इश्क़ होता है,

जो दर्द उठाता है रह रह के सीना शक़ में
हो आप अपना उपाय तो इश्क़ होता है,

दबा हुआ हो जो अपनी अना के मलबे में
वो ख़ुद को ख़ुद से हटाये तो इश्क़ होता है..!!

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