चंद सिक्को के एवज़ हर ज़ुर्म के सबूत मिटाने वालो
इक्तिदार के नशे में धूत, लोगो पे ज़ुल्म ढहाने वालो,
हर चढ़ते सूरज के बनावटी नगमात गाने वालो
किसी ग़रीब की इज्ज़त ख़राब कर के इतराने वालो,
रखना याद, एक दिन तुम्हारा हिसाब होगा…..
हर एक शख्सियत में बे वजह ऐब निकालने वालो
ज़हरपली नापाक़ ज़ुबान से सीने पे तीर बरसाने वालो,
ज़ुल्म के साथी बन के मज़लूमो का दिल दुखाने वालो
बेकस की मजबूरियों का नाजायज़ फ़ायदा उठाने वालो,
रखना याद, एक दिन तुम्हारा हिसाब होगा…..
इंसाफ़ के परचम तले, इंसाफ़ की धज्जियाँ उड़ाने वालो
क़लम ओ ज़मीर बेच कर अशरफ़ी से ताअल्लुक़ बनाने वालो,
नफ्सी ख्वाहिश के लिए यूँ फ़हाशी फैलाने वालो
आवाम को झूठे वायदे कर के वक्ती शोहरत कमाने वालो,
रखना याद, एक दिन तुम्हारा हिसाब होगा…..!!