जिस वक़्त वालिदैन ने जनाज़े उठाये होंगे
जिस वक़्त वालिदैन ने जनाज़े उठाये होंगे उस वक़्त कितने खून के आँसू बहाए होंगे, मुंसफ सज़ा कहाँ …
जिस वक़्त वालिदैन ने जनाज़े उठाये होंगे उस वक़्त कितने खून के आँसू बहाए होंगे, मुंसफ सज़ा कहाँ …
हक़ मेहर कितना होगा बताया नहीं गया शहज़ादियों को बाम पे लाया नहीं गया, कमज़ोर सी हदीस सुना …
दिल ए बेताब की मुझको हिमायत अब नहीं करनी मुझे आज़ाद रहना हैं मुहब्बत अब नहीं करनी, गिला …
कैसे होता है मुमकिन ये गवारा करना दिल में बसे हुए लोगो से किनारा करना, कुछ मुहब्बत के …
दिल दे कर संगदिल को ज़िन्दगी दुश्वार नहीं करना यूँ हर किसी से अपने इश्क़ का इजहार नहीं …
एक बेवा की आस लगती है ज़िंदगी क्यों उदास लगती है, हर तरफ़ छाई घोर तारीकी रौशनी की …
हक़ीक़तों में बदलता सराब चुभने लगा जो बन सका न हक़ीक़त वो ख़्वाब चुभने लगा, सवाल सख़्त हमारा …
यहाँ शोर बच्चे मचाते नहीं हैं परिंदे भी अब गीत गाते नहीं हैं, वफ़ा के फ़लक पर मोहब्बत …
ख़ुद्दार मेरे शहर का फाक़ो से मर गया राशन जो आ रहा था वो अफ़सर के घर गया, …
बिस्तर ए मर्ग पर ज़िंदगी की तलब जैसे ज़ुल्मत में हो रौशनी की तलब, कल तलक कमतरी जिन …