फ़ज़ा में छाए हुए हैं उदास सन्नाटे

faza me chhaaye hue hai udaas sannate

फ़ज़ा में छाए हुए हैं उदास सन्नाटे हों जैसे ज़ुल्मत ए शब का लिबास सन्नाटे, तेरे ख़याल की

जो तेरे देखने से निकले हैं

jo tere dekhne se nikale hai

जो तेरे देखने से निकले हैं वो भी दिन क्या मज़े से निकले हैं, वो कहाँ नज़्र जाँ

जो दे रूह को सुकून वो है मेरे लिए तेरा प्यार

jo de rooh ko sukun wo hai mere liye tera pyar

जो दे रूह को सुकून वो है मेरे लिए तेरा प्यार मेरे ज़ेहन ओ दिल का नूर है

बे हिसी चेहरे की लहजे की उदासी ले गया

be hisi chehre kee lahze kee udasi le gaya

बे हिसी चेहरे की लहजे की उदासी ले गया वो मेरे अंदर की सारी बद हवासी ले गया,

बदन दरीदा हूँ यारो शिकस्ता पा हूँ मैं

badan darida hoon yaaro shikasta paa hoon main

बदन दरीदा हूँ यारो शिकस्ता पा हूँ मैं कि जैसे अपने बुज़ुर्गों की बददुआ हूँ मैं, वो शख़्स

लहूलुहान परों पर उड़ान रख देना

lahuluhan paro par udaan rakh dena

लहूलुहान परों पर उड़ान रख देना शिकस्तगी में नया इम्तिहान रख देना, मेरे बदन पे लबों के निशान

होंठों से लफ़्ज़ ज़ेहन से अफ़्कार छीन ले

hontho se lafz zehan se afqaar chheen le

होंठों से लफ़्ज़ ज़ेहन से अफ़्कार छीन ले मुझ से मेरा वसीला ए इज़हार छीन ले, नस्लें तबाह

शजर तो कब का कट के गिर चुका है

shajar to kab ka kat ke gir chuka hai

शजर तो कब का कट के गिर चुका है परिंदा शाख़ से लिपटा हुआ है, समुंदर साहिलों से

बच्चे की ज़िद को अब तो मेरा एतिबार दे

bachche kee zidd ko ab to mera aetibar de

बच्चे की ज़िद को अब तो मेरा एतिबार दे ऐ आसमाँ ये चाँद मेरे घर उतार दे, चोरी

ता हद्द ए नज़र कोई भी दम साज़ नहीं है

taa hadd e nazar koi bhi dam saaz nahi hai

ता हद्द ए नज़र कोई भी दम साज़ नहीं है या फिर मेरी चीख़ों में ही आवाज़ नहीं